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स्टॅच्यू ऑफ युनिटी

स्टॅच्यू ऑफ युनिटी

statue of unity 

स्टॅच्यू  ऑफ  युनिटी  हि  एक भारतातील  गुजरात  मधील  जगातील  सर्वात  मोठी  मूर्ती  आहे.  जी  सरदार  वलभाई  पटेल  याना  समर्पित  आहे. स्टॅच्यू  ऑफ  युनिटी  साठी  लोखंड  साठी  भारतातून  किसान  कडून अनुपयोगी  लोखंड  गोळा  करण्यात  आले होते . स्टॅच्यू  ऑफ युनिटी  चा  बांधकाम  कालावधी  पूर्ण  करण्यासाठी  ४ वर्ष लागले  होते .

 

हा  पुतळा  गुजरात  राज्यात   राजपिपला  शेराजवळ नमर्दा  नदीत  सरदार  धरणजवळ  साधू  या  बेटावर  उभारला  आहे  हे  स्मारक  तबल २०००० मीटर  शेत्रात  पसरले  आहे  या  प्रकल्पाचे  बांधकाम  हे ३१ ऑक्टोबर  २०१४ पासून  सूरु  झाले  व  ऑक्टोबर  २०१८  मध्ये  या  प्रकल्प  चे  काम  हे  पूर्ण  झाले 


 सरदार  वलभाई  पटेल  कोण  होते. 

ज्या  वेळी  भारता  ची   इंग्रजांच्या  गुलामगिरीतून  सुटका  झाली  त्या  वेळी  भारताचे  एकूण ५६५  संस्थाने  हे झाले  होते  व  त्या   संस्थाने  चे  वेगळे  राज होते  व   त्या  संस्थाने  देश  गोसीत  करण्याचा  डाव  हा  त्या  राज्यचा  होता. पण  हा  डाव  सरदार  वलभाई  यांनी  मोडून  काढून  त्या  संस्थाना  भारत  मध्ये  एकत्र  करून  घेण्या  मध्ये  सरदार  वलभाई  पटेल  यांची  मोठी  भूमिका  होती. सरदार  वलभाई  पटेल  यानाचा  जन्म  हा ३१ ऑक्टोबर  १८७५ या  वर्षी  झाला. त्याच्या  पिताजी  चे  नाव  हे जावेरभाई  व  आई  चे  नाव  लाडबाई  हे  होते.

  सरदार  वलभाई  पटेल यानि  माध्यमिक शाळा चे  शिक्षण  हे  २२ वर्षी  पूर्ण  केले  होते  त्याना  वकील  बनायच होत  व  त्या  साठी  त्यांनी २ वर्ष  मध्ये  च  विकीला  कडून  पुस्तेके  खेऊन  त्यांनी  परीक्षा  पास  केली  व  ते  वकिलाचे  शिक्षण  घेण्यासाठी  लंडन  या  देश  मध्ये  गेले  व   त्यांनी  हालाकी  मध्ये  त्यांनी शिक्षण  पूर्ण  केले व  शिक्षण  पूर्ण  झाल्या  नंतर  तेथील  सरकारने  अनेक  नोकरीच्या  संधी  दिल्या  पण  सरदार  वलभाई  पटेल  यानि  ती  संधी  खेतली  नाही  व ते  परत  भारत  मध्ये  परतले व  त्यांनी  अहमदाबाद  विकालाचा  सराव  केला  व  त्या  त्यांनी  खूप  प्रसिद्धी  मिळवली 

 १९१७ पासून  त्यांना  राजकारण मध्ये  रुची  येऊ  लागली  व त्यांनी १९१७ मध्ये  अहमदाबाद  कंमिसिओनर (commisioner) या  पदा  साठी  निवडूंक  लढली  व  जिंकली व  या  मुले  राजनीती  मध्ये  त्याची  रुची  अनेक  वाढली  व  ह्या  मध्ये खूप  प्रसिद्धी मिळवले  व  भारताच्या  राजनीती  मोठा  भाग  निर्माण  झाला.

 बार्डोली  जिल्या  मध्ये  ब्रिटीश  सरकार  हे  तेथील  शेतकरी  पासून  अधिक  चा  कर  हे  घेत  होते  त्यासाठी त्यांनी  एक  सत्यग्रह  अंदोलनणाची  रूपरेखा  तयार केली. व  त्यांनी  शेतकऱ्यांचे  प्रतिनिधीतव  केले  त्यामुळे  त्यांना  शेतकऱ्यान तर्फे  सरदार  हे  उपाधी  दिली  व  त्यांच्या  नवा  पुढे  सरदार  हे  लागले व  १९४८ ला  ज्या  वेळी  भारत देश हा  स्वतंत्र झाला  त्या  वेळी  भारताचे  पहिले  उपपंतप्रधान  वलभाई  पटेल हे झाले . सरदार  वलभाई  पटेल  यांचा  मूर्तीव  हा  १५ डिसेंबर  १९५० मध्ये  झाला . 

स्टॅच्यू ऑफ युनिटी बांधकाम 

या  मूर्तीला  बनवण्या  साठी  तब्बल  ३००  अभियांत्रिकी व  ४००० कामगार  हे  एकत्र  मिळून  काम  करत  होते. तबल  २५००० टन  स्टील  व  ७०००० सीमेत  चा  वापर  हा  या  मूर्ती  मध्ये  करण्यात  आला  आहे. सरदार  वलभाई  पटेल  यांच्या  मूर्तीचे  वजन  हे  २२००० हत्तीन  एवढे  अधिक  आहे  या  मूर्ती  ची  उंची  हि  १८२ मीटर  एवढी  आहे . हि  मूर्ती  येवढी  मोठी  आहे  कि  अवकाश  तुन  सुधा  दिसते. 

 या  मूर्तीला  बनवण्या  साठी    तबल अमिरिकेन  425 दशलक्ष डॉलर्स म्हणजेच  इंडियन  ३०००  कोटी  एवढा  खर्च  आला  आहे. या  मूर्ती साठी  ४२ महिने  चा  कालावधी  दिला  होता.  मूर्तीला  उभा  करण्या  साठी  पाया  मजबूत  करणे  गरजेचे  होते  व  या  मुले   १३० टन  लोखंड  या  पाय  मध्ये  घालण्यात  आले  व   हे  लोखंड  तबल  ३०००० कोटी  शेतकऱ्यांनी  ते लोखंड  दान  केले  व  ह्या  लोखंड  वर  प्रक्रिया  करून  ते  लोखंड वापरण्यात आले. 

या  मूर्ती चा  पाया  हा  एक  अलोम्पिक  स्वामिंग  पूल  एवढं  खोल  व  पसरत  होता  व  या  मध्ये  उत्तम  दर्जे  चे  काँक्रीट  वापरण्यात  आले  हे  काँक्रटीत  असे  होते  कि  ते  लगेच  निराकरण  होत  होते.  मूर्ती  बनवण्या  साठी  ज्यादा  तर  एक  मोठ्या  आकार  चा  एक  कॉलम  बांधला  जात  पण  सरदार  वलभाई  पटेल  यांच्या  मूर्ती  मध्ये  असे  डिझाइन  खेतले  होते  कि  त्यांचे  दोनी  पाय  वेगवेगळे  व  एक  पाय  पुढे  असे  दर्शवले  होते 

 व  सरदार  वलभाई  पटेल  हे धोती  खलाअत  होते  या  मुले  अभियांत्रिकि  पुढे  हे  एक  मोठे  आवाहन  होते  या  समस्यांची  तोड  असा  काढला  कि दोन  कॉलम  वेगवेगळे  घेतले .  मूर्तीला  येगदम  पूर्ण  बनवणे  शेक  नव्हते  या  मुले कास  या  धातू  चे वेगवेगळे  ६६५९  भाग  जोडून  या मूर्तीला   बनवण्यात आले  हे  भाग  जोडणे  एक  कोड्या  पेक्षा  कमी न्हवते  या  मूर्ती  च्या  छाती  जवळ  एक  गॅलरी  आहे  त्या  मधून  पर्येतक  बाहेरील  नजर  बगु  शेकतात.   

   

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