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History of Ayodhya Ram Temple: Construction Process and Supreme Court Decision

History of Ayodhya Ram Temple: Construction Process and Supreme Court Decision

अयोध्या राम मंदिर का इतिहास: निर्माण प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

या  आर्टिकल  मध्ये   आपण  अयोध्या  राम  मंदिर   बदल  बघणार  आहे   अयोध्या  हे  राम  ह्या  हिंदू  देवाची   जन्मभूमी  आहे   तर  आपण    अयोध्या    राम  मंदिर हे  नेमके   कसे  तयार  झाले  या आर्टिकल  मधून  आपण  त्याचा   इतिहास  बदल  व  अनेक  घटका  बदल  माहिती  घेणार  आहे. 

अयोध्या राम मंदिराचा इतिहास

प्रमुख समर्पण:

हे  मंदिर   भगवान   राम    ला  समर्पित  आहे   या   देवाला  हिंदू  धर्मा  मधील  प्रमुख  देव  पैकी  एक  देव  मानले  जाते  राम  हा  देवा  जीवनाची  गोष्टी  पासून   प्रत्येक  लहान  मुलान  मध्ये  सुदा  माहिती  आहे. वाल्मिकिींनी  या   ऋषी   ने  लिहलेले   रामायण  या  महाकाव्ये   मधील   नायक  म्हणजे   राम  श्री  राम  हे  भगवान  विष्णू  यांचे  सातव्ये  मनुष्य  रुप  मधील  अवतार  होते. भगवान  राम   याना  पुरुषोत्तम  असे  म्हटले  जाते.  भगवान  राम  चा  जन्म  हा  अयोध्या  मध्ये  झाला  होता  हे  मंदिर  त्यांच्या  जन्म  ठिकाण  म्हणून  समर्पित  आहे . 

 राम  मंदिराचा  इतिहास :

राम  मंदिरा  ची  कहाणी  हि  ज्या  वेळी  भगवान  राम  हे  आपले  जीवन  पाण्या  मध्ये  समाधी  घेऊन  विखुटाला  जातात  त्यापासून  सुरवात होते  राम  हे  विखुटाला  गेल्या  पासून  त्यांच्या  ४४  पिढीने  राज  केले  होते   भगवान  राम  यांचे  पुत्र    खुश  अयोध्याचे  राज्या  होत्ये त्या वेळी  भगवान  राम  यांच्या  जन्म  ठिकाणी एक  मंदिर  बांधले . हे  मंदिर  अनेक  वर्ष  झाल्या मुले  ५७ bc या कालखंड  मध्ये उजन चे  राज्या  विक्रम  आदित्य या  नुततीकरण  केले  पण  परत  एप्रिल १५२६  या  कालखंडा   मध्ये  बाबर  हा  मुस्लिम  राज्या  भारता  मध्ये  आला  याने  ज्या वेळी  अयोध्या  वर  हला  केला  त्या वेळी  त्याच्या  सेनापती  ला  आदेश  दिला कि  तेथील  सर्व  मंदिर  तोडून   त्या  ठिकाणी  मजित  बाडण्यात  आल्या  व  त्या  ठिकाणी  हिंदू  ना  जाण्यास  वर्जित  केले  

१८५३ या  साला  मध्ये   निर्मोहा  एखादा  याने  दावा  केला  कि  या  मजित  जागे  राम  मंदिर  होते   व  मंदिर  तोडून  या ठिकाणी  मजित  बांधली  आहे.  या  मुले  मुसलीम  व  हिंदू  मध्ये  वादास  सुरवात  झाले   व  अनेक  दंगली  सुरवात  झाली.  पण  परत  हि  केस   कोर्टा  मध्ये  जाते  व  या  मध्ये  दोन  पक्ष  वेगवेगळे  आप आपला  दावा  ढोकतात  हे  दोन  पक्ष  म्हणजे  निर्मोह  एखादा  व  सुनी वक्त  बोर्ड  परत  या  मध्ये अनेक  संघटना  ह्या  एकत्र   येण्यास सुरवात  होते  ३० ऑकटोम्बर  १९९२ या मढी    हाजरो  च्या  संख्येने  कार  सेवक  एकत्र  येतात  व  मजित  च्या  चबुतऱ्या वर चडून  बाबरी  मजित  खाली  पाडता  व  त्या  ठिकाणी  एक  छोटे  राम  ची मूर्ती  ठेवली  जाते  या  मुले  हिंदू  व  मुस्लिम  मध्ये  अनेक  दंगे  होण्यास  सुरवात  होते   व  परत  हा  विषय  सुप्रीम कोर्ट  मध्ये  जातो . 

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय

एरोकॉलॉजिकल   सुरेव्य  ऑफ  इंडिया   या    रिपोर्ट  नुसार  असे  नमूत  केले  गेले  कि   त्या  ठिकाणी  माती  खणून  त्या  मदत  अवशेष  बाहेर  काढून  ते  नेमके  मजित  चे  आहेत कि   मंदिर  चे  असे करण्यास  कोर्टाने  आदेश  दिला  त्या  रिपोर्ट  मध्ये  राम  मंदिर  आधी  असण्यास  सिद्ध  झाले  व    बाबर  या  मुस्लिम  शासक  मंदिर  तोडून  बाबरी  मजित    बदलाचे सिद्ध  झाले.  याच्या आधारे  सुप्रीम  कोर्टाने  भारताच्या  संविधान  मधील आर्टिकल  १४२  नुसार असा  न्याय  केला  कि  बाबरी  मजित  वाल्या  २. ७७ एकरी  ठिकाणाला राम  लळा  विराजमान  ला  राम  मंदिर  बांधण्यास  देण्यात  आले. व  दुसऱ्या  ठिकाणी  ५ एकरी  जमीन  हि  सुनी  वक्त  बोर्ड  ला  बाबरी  मजित  बांधण्यास  दिली.  

राम  मंदिराची निर्माण की प्रक्रिया

अयोध्या राम  मंदिराचा  एकूण  परिसर  हा  १०७ एकर  मध्ये  पसरला  आहे  त्या  मधील  मूळ  राम  मंदिर हे  २,७७ एकर  मध्ये  पसरले  आहे  त्या  मंदिरा  ची  लांबी  ३८० पाय  व रुंदी  २५० आहे  आणि  मंदिर  एकूण  १६१ फूट आहे व  या  मंदिराला  एकूण  ३९२  पिलर्स  व ४४ दरवाजे  आहेत  मंदिरा  ची  इट  बनवताना  इट  वर  श्री  राम  व  इट  बनवनचे  वर्ष  त्या इट  वर  नमूत  केले  आहे  या  मागे  राम सेतू  सारखी  भावना  होती तसेच  या मंदिरा  मध्ये  लोखंडचा  वापर  केला  नाही पण  तरी  देखील  आता  परची  बेस्ट  तंत्रन्यान  वापरलं  आहे  हे  मंदिर  मंदिर  जुनी  पद्धतीने  म्हणजेच  जे  हिंदू  धर्मा  मध्ये  मंदिर  बांधाचे  नियम  आहेत  त्या पद्धीतीं  ने  मंदिर  बांधले  आहे. या  मंदिर  मध्ये  पिंक सॅन्डस्टोने  नावाची  दगड  वापरला  आहे  तसेच  या  मंदिराला  असे  बनवले  आहे कि  ८ मॅग्नीतूड  भूकंपाने  देखील  या  मंदिराला  काही  होणार नाही  ह्या  मंदिराला  १००० वर्ष पर्येंत हे  मंदिर  जसे तसे राहील.

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supreme court ram mandir judgement pdf 



 






  

हवामान बदल काय आहे?

 हवामान बदल काय आहे

  what is climate change

नेमकी  हवामान  बदल  काय  आहे  हे  याची  संकल्पना  बघणार  आहे   climate change  हि  संकल्पना  अशी आहे कि  आपण ज्या  ग्रह  वर  राहतो  म्हणजे  पुथ्वी  या ग्रह चे  तापन  हे वाढत  असते  व  या  मुले हवामान मध्ये अनेक  बदल  घडत  असतात  हवामान  सजीवांना  साठी  रहाण्या  यौग्य  रहात  नाही  त्यास  हवामान  बदल  काय आहे  असे   संम्बोदले  जाते.

आपण  ज्या ग्रहा वर राहतो  त्या  ग्रह  चे  नाव  पुथ्वी. सजीव  हे  पुथ्वी  मध्ये  जगण्या  साठी   सहजीवन  साठी  निरगोई  हवामान ची  गरज  असते  आपल्याला  हे  माहीत  च  आहे  कि  पुथ्वी  या ग्रहा  शिवाय  इतर  कोणत्या  हि  ग्रह  वर  पुथ्वी  सारखे  सजीव साठी  राहण्या  योग्य वातावरण  नाही. 

पुथ्वी  या ग्रह  चे   तीन  प्रमुख  वायू  मुले  वातावरण  हे  तयार  झाले  आहे.  ते  म्हणजे  ऑक्सिजन , नायट्रोजन  व  कार्बनडायॉक्सिड आणि  इतर  वायू   या वायू  चे  प्रमाण  हे असे  आहे कि  ऑक्सिजन  हे  २१%  , नायट्रोजन   हे  ७८% व  कार्बनडायॉक्सिड  आणि   इतर  वायू  चा   समावेश  हा  ०. ०३%  एवढा  आहे.

 पण  १९५०  पासून   कार्बनडायॉक्सिड  चे  प्रमाण  हे  वातवरण  मध्ये  वाढत  चाले  आहे.  हे  प्रमाण  आता  किमान  ०. ०४% एवढे  झाले  आहे   वैन्यानिक  दुष्ट्या   याचे  ९६% कारण  हे  मानवी  क्रियाकलाप  आहे.  आपण   खूप  असे  हवामानाला  दूषित  करत  असतो जसे   कि  कोयीला  हा  आपण  ऊर्जा  साठी  जाळतो  , कारखाना  , काडी  चालवणे  या  मुले  co2 चे   प्रमाण  हे  वाढत  आहे . आणि  दुसरे  कारण  म्हणजे  आपली  मानवाची  संख्या  हि  वाढत  चाली  आहे. 

 त्या  मुले आपण  ज्यास्त  नैसर्किक  खणिज्याचा  वापर  होतो  हे  देकील एक  मोठे कारण  आहे. समस्या  हि  कि  नाही  तापमान  हे  वाढत  आहे पण  हे  मोठ्या  प्रमाणत  तापमान मध्ये  वाढ  होत  आहे  या  मुले  हिमालया  या  सारख्या  बर्फ  असणाऱ्या  प्रदेश  मधील  बर्फ  खूप  वेगाने   वितळत  आहे 

 या  मुले  समुद्रया  किनारी  असलेले   ठिकाण  हे  पाण्या  खाली  जाण्याचा  धोका  निर्माण  झाला  आहे .  या  मुले  हवामान  बदल  हे  विषयी  गंभीर  घेण्याची  गरज  आहे .  

हवामान बदल: कारणे, परिणाम:- 

हवामान  बदल  म्हणजे  पुथ्वी चे   वातावरण  हे   काहीये  मानवी   क्रियालाप   मुले  हवामान  मध्ये  बदल होणे  जशी कि   तापानं  वाढणे   हवा दूषित  होणे   या   श्वास  घेण्यास  अधतला  येणे  याचे  अनेक  करणे व  परी नाम  हे  आहेत  हे  मुखे  कोणते  कारण  व  परिणाम  आहेत  हे  आपण पाहू. 

गरम तापमान:-

पुथ्वी  चे तापमान  हे  दिवसानुदिवस  वाढत  चालये  आहे.  याचे  मुख्ये कारण  म्हणजे  मानवी  गतविधी  आहेत  या  मध्ये  मुखतो  तापमान  वाढण्या  प्रमुख  घटके  म्हणजे  कारखानये , वाहन  चे वाढते  प्रमाण  तसेच  ऊर्जा  मिळण्या  साठी  कोईल  या  खनिजाचा  मोठ्या  प्रमाणत  वापर  होण्ये  या  मूल्ये  वातावरणा  मधील  कॅर्बोनडिओक्सिड  चे   प्रमाण  हे वाढत चालये आहे. 

अधिक तीव्र वादळे:-

उष्मा-सापळ्यातील वायूंच्या मानवी उत्सर्जनामुळे   हवामान  मध्ये  अनेक  बदल  घडतात  जसे  कि  अधिक  तीव्र  वादळ  याचे  कारण  म्हणजे  आपण  जे  वायू  सोडत  ते वायू  मुले  पुथ्वी  समुद्र  मधील तापमान हे वाढत  जाते  व  समुद्रा  वाढती  पातळी  मुले   पूर येण्याचा  धोका  देखील  निर्माण  झाला  आहे हवामान  बदल मुले  अधिक  वादळे  हे येत  आहेत   तसेच  ते अधिक  तीव्र  प्रमाणात  येत  आहेत  या  मध्ये  वाऱ्याची  वेग हा ३५mp  हा  २४ तास  मध्ये   वाढत  आहे  या  मुले  वादळे  हे  अधिक  तीव्र  होत  आहेत.

प्राण्यांमधील प्रजाती नष्ट होणे:-   

हवामान  बदलामुळे   प्राण्यांमधील   प्रजाती  नष्ट  होत  आहेत.  आपल्या  पुथ्वी  या  ग्रहाचे  तापमान  गेले  दहा हजार वर्षा  पासून  तापन  हे  वाढत  आहे  त्यामुळे  तापमान  मधील  वाढी  मुले  हवामान  मध्ये  बदल  होत आहे  ऋतू  मध्ये  बदल  खडण्यास  सुरवात  झाली  आहे  त्यामुळे   प्रजातींना नवीन हवामान पद्धतींशी जुळवून घेणे  कठीण  जाते  त्या  मुले  प्रजाती  नष्ट  होत  आहेत. व  बियाणे विखुरण्यासाठी प्राण्यांवर अवलंबून असलेल्या वनस्पती हवामानातील बदलांशी जुळवून घेण्यासाठी धडपडत आहेत. हवामानातील बदलांशी जुळवून घेण्याची वनस्पतींची क्षमता काही प्रमाणात त्यांच्या बिया पसरवणाऱ्या प्राण्यांवर अवलंबून असते – ग्रह तापत असतानाही झाडे आणि फुलांना नवीन ठिकाणी उगवण्याची संधी मिळते जिथे त्यांना आवश्यक तापमान आणि पाऊस मिळू शकतो. 

अधिक आरोग्य जोखीम:-

हवामान  बदल   मुळे   मानवी  जीवन  साठी  खूप  मोठा  धोका  निर्माण  झाला  आहे   जाकतीक  तापमान  वाढीमुळे   तापमान  मुले  अनेक  रोगांची  लागण  हि  मानवना  होत असते जसे कि  डेंगू  ताप  या  सारख्या  डास पासून  पसणारे  रोग व  जलजन्य  रोगांसाठी  अनुकूल  परिस्थिती  निर्माण  होत  आहे  व  त्यामुळे  अनेक  नवीन भौगोलिक भागात   याच  शिरकाव  होतो  व  त्यामुले तेथील  लोकांची   रोग प्रतिकारशक्ती  विकसित  नसते  या मुले  जर वर्षी अनेक  लोकांचा  मूर्तीव  हा  होत  आहे  म्हणून  हवामान  बदल  मुले  अधिक  आरोग्य  जोखीम   चा  धोका  निर्माण  झाला  आहे . 

हवामान बदलाचे उपाय:-

हवामान  बदल  हि  एक  जगातील  सर्वात  मोठी  समस्या  निर्माण  झाली  आहे.  याचे  उपाये शोधणे खूप  महत्वाचे  झाले  आहे   हवामान  बदल हा  खूप वेगाने  होत  आहे त्यामुळे    २०५०  मधील  पिढी    हे  जग  बघील  का नाही   हे  देखील  सांगता येत  नाही  यामुळे  हे  कोठे तर  थाबवणे  गरजेचे  आहे. 

जीवाश्म इंधन जमिनीत ठेवा

हवामान  बदल  जर  हि  जर  समस्या  सम्पवेची  असेल  तर  आतापर्येंत  वापर  न  केलेले  तेल ,कोळसा  आणि  वायू  चे  साठे  हे विकसित  करणे  हे  थांबावे  लागेल.  वाढत्या  जागतिक  तापमान  वाढी  मुले  हे  साठे  वापरेचे  थांबवायचे  त्वरित  गरज  आहे.  दिवसेनदिवस  तापमान  हे वाढत च  चाले  आहे  त्यामुळे  जीवाश्म इंधन  ला  पर्याय  शोधून  जीवाश्म इंधन  हे  जमिनीत  ठेवणे  हाच  एकमात्र  मार्ग  आहे. 

Amazon सारख्या जंगलांचे रक्षण करा

ऍमेझॉन  या  जंगल  पुथ्वी  चे  फुफुसे  अशे देखील  संभोडले  जाते  कारण  हे  जंगल  जगातील  सगळ्यात  मोठे  जंगल  आहे  हे  जंगल  किमान  १५%  ऑक्सिजन  हे  जंगल  पुरवत  असते   पण   हे जंगल  आता थोडे  नष्ट  होत  चाले  आहे  कारण यावर्षी 20 ऑगस्ट रोजी ब्राझीलच्या साओ पाउलो शहरात अंधार पडला होता. हजारो किलोमीटर दूर असलेल्या ॲमेझॉनच्या जंगलात लागलेली भीषण आग हे त्याचे कारण होते, ज्याचा धूर आसपासच्या भागात पसरला होता.  जंगलतोड आणि कमी होत चाललेले वनक्षेत्र याबद्दल दीर्घकाळ चिंता व्यक्त करत आहे.  या  मुले  अमझोन  सारख्या  जंगलांचे  रक्षण  करणे  गरजेचे  आहे. 

महासागरांचे रक्षण करा

महासागरांचे  आपल्या  जीवना  मध्ये  खूप  महत्व  आहे  महासागरामुळे  पावसाचे  चेकर  चालत  असत्ये   तशेच  मानवाचे  अनाचा  मुख्य  भाग  हा  महासागरा  मधून  येत असतो जसे  कि सीफूड हे प्रथिनांचे प्रमुख स्त्रोत आहेत. महासागर आपल्याला इतर महत्त्वाचे अन्न स्रोत देखील प्रदान करतात, जसे की समुद्री शैवाल आणि समुद्री मीठ. जर  महासागर  नष्ट  झाले  तर  जागतिक  अन्न  सुरेशा  हि  धोक्यात  येण्यास सुरवात  होत्या  महासागर  आजकाल  खूप  प्रदूषण  होण्यास  सुरवात  झाली  आहे  महासागर  मध्ये  अनेक  कचरा  तशेच  माल  वाहतुकी  जहाजे  पासून लीक  होण्याऱ्या  कच्या  तेल  पासून   महासागर  मधील  जीवन धोका निर्माण होत चाला  आहे  यामुळे  महासागराचे  रक्षण  करणे  गरजेचे  आहे.   

हरीत ऊर्जा

हरित ऊर्जा हि एक अशी ऊर्जा आहे कि ती मानव जाती ला व पर्यावण अजिबात धोकायची नाही त्यामुळे जीवाश्म इंधन जर वापर करायच नसेल हरित ऊर्जा हा एक महत्वाचा पर्ये मानलं जातो हरित ऊर्जा चा वापर करून आपण ज्या गाड्या चालवत असतो त्यांना देखील आपण एचओ फ्रेंडल्ये बानू शिकतो जने वातावरण मधील कार्बोदिओक्सिड चे प्रमाण कमी होऊन हवामान बदल या समस्या पासून आपण वाचू शेकेल .

 

  
 

हे विश्व काय आहे ,universe

 हे  विश्व  काय  आहे?

 What  is  this  universe?

आपण  या  आर्टिकल  मध्ये  हे  विश्व  काय  आहे.  हे  आपण   या आर्टिकल मध्ये  आपण पहाणार आहे  विश्व म्हणजे ग्रह  तारे   सूर्येमाला  असे अनेक  गोष्टी  ज्या  मध्ये सामाविस्ट  आहेत  तयास   विश्व असे  म्हटले  जाते  नेमकं  हे  विश्व म्हणजे   काय  आहे   हि  संकल्पना  काय आहे  ते  फुडें आपण  पहाणार आहे. 

विश्वाचा जन्म वैज्ञानिक पद्धतीने:-

विश्व  म्हणजे  ग्रह  तारे  सूर्ये   आकाशगंगा  या  गोष्टी  चा ज्या मध्ये समावेश आहे  त्या गोष्टीला  विश्व अशे समधले जाते   विश्व्  हे  खूप  अनंत  भागा  मध्ये   पसरले आहे  आता  पर्येंत  जेवढा  भाग  चे  संशोधन  झाले  आहे  त्या  मध्ये असे  माहीत  झाले  कि १९ अब्ज  एवढ्या  आकाशगंगा  अस्तित्वात  आहेत  या  आकाशगंगा  मध्ये  आपली  पुष्टी ज्या  आकाशगंगा  मध्ये  त्या  आकाशगंगास मिल्की  वय  असे  संभोदले  जाते.  विश्वाचे  निर्माण  हे  संशोधनतुन  असे  समजले आहे  कि  याच  मुखे कारण  बिग  बंग थेरी  अशे  मधले जाते.   

  

बिग बँग – सर्वात मोठा सिद्धांत:-

आपण  या  विश्व मध्ये  जे  ग्रह ,तारे व  आकाशगंगा  बघतो  ते  तसे आधी पासूनच  या  विश्व  मध्ये निर्माण  न्हवते  त्या  आधी  विश्व् हे झरो   परिस्थिती  मध्ये  होते  या  मध्ये  न कुठला  आवाज  होता  किंवा  कुठली  हालचाल  अशे हे विश्व हे अस्तित्वात  होते   या  विश्वाचे  निर्माण  हे एक छोट्या  पॉईंट  पासून  झाले  होते  हा  छोटा  पॉईंट  हा खूप  लहान म्हणजेच  अनु  एवढा होता   या  अनु  मध्ये  अनेक  ऊर्जा  हि  सामावली  होती  हि  मध्ये असे  काय  झाले कि त्या  मध्ये मोठ्या  प्रमाण  मध्ये  त्या पॉईंट चा स्फोट  झाला  हा स्फोट  कसा  झाला याचे  उत्तर  हे वैन्यानिक  कडे सुद्धा नाही . 


 हा  स्फोट  ज्या वेळी  झाला  त्या  पॉईंट मध्ये जी  ऊर्जा होती ती भाहेर  पडली  हि  ऊर्जा  अनेक  वर्षी फिरत  राहिली   हि  ऊर्जा ज्या वेळी  थंड  झाली  त्या पासून  अनेक  पदार्थ  तयार  झाले  जसे  कि  इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन  व  नेऊट्रॉन  हे  परदार्थ परत  एकत्र होण्यास  सुरवात   झाली  हे  परथार्त  एकत्र  होण्याचे  कारण   म्हणजे 
गृतीविआकर्षण   सुरवातीला  या  विश्व   मध्ये हाइड्रोजन  अनु अनेक  होते  या  अणूचे  गुटीवीआकर्षण  मुले  संकुचित   होण्यास  सुरवात  झाली  या  तेथील  तापमान  हे वाढू लागले  व  त्या ठिकानीचे ज्या  १००० कोटी  एवढे  झाले  त्या  वेळी एक मोठ्या  तारांची  निर्मती  हि झाली  असे   होत  अनेक  ताराची  निर्मिती  हि  झाले  व  हे  तारे  गुटीवीआकर्षण मुले  एकमेकान  संगे  फिरू लागले   व  असे  अनेक   ताऱ्यांपासून  आकाशगंगांचे  निर्माण झाले 

विश्वाच्या उत्पत्तीचा वैदिक सिद्धांत:-

वैन्यानिक  दुष्टी  नुसार   विश्वाची निर्मती हि  बिग बंग थ्रीरी  ने झाला आहे  पण ह्या थेरी  मध्ये  अनेक  कमी  आहेत त्या मधील  एक म्हजे  बिग बंग थेरी मध्ये प्रमुखाने  एक बिंदू   च्या  स्फोटा  पासून  विश्व ची  निर्मिती  हि झाली  पण  या  बिंदू  मध्ये  स्फोट  कशी  कशा काय झाला  याचे  मुख्ये  कारण  अजून  कोणाला  कळाले  नाही  पण  हिँदु  धर्म नुसार  याची उत्पत्ती  हि  ब्रह्मा  देवांनी केली आहे . 

 
हिंदू धर्मा  नुसार   प्रमुखाने  तीन  देवांना  खूप  महत्व  दिले  जाते  या  मध्ये  विषुनु  ब्रम्हा  शिव  या  अशे  मानले जाते  कि  विषुनु  या देवा  विश्व  ची  देखभाल  करण्याचे काम  असते व  ब्रह्मा  या देवा  कडे  विश्व  बनवण्याचे  काम  हे  जाते  तशेच   देव  शिवा  कडे  एक  नवीन  सुरुवात  करण्या साठी   विश्व सम्पवनाचे काम असते. 

अशे मानले जाते  कि  विशूनु  शेण  मुद्रे मध्ये असताना  त्याच्या  बेंबी  मधून  एका  कमळाची  निर्माती  झाली  व ह्या  कमला पासून  ब्र्हमा  देवाची  निर्मती झाली  व  याच  देवांनी  परत  विश्वा  ची निर्मती हि झाली .     

      

satellites

satellite mhanje kay तीन प्रमुख सैटेलाइट प्रकार: Low Earth Orbit (LEO), Medium Earth Orbit (MEO), आणि Geostationary Orbit (GEO) पृथ्वीच्या कक्षा मध्ये दाखवलेले शिक्षणात्मक मराठी थंबनेल

 

🛰️ सैटेलाइट म्हणजे काय? प्रकार आणि उपयोग (Satellite in Marathi)


🔭 सैटेलाइट म्हणजे काय?

satellite mhanje kay? हा प्रश्न आज अनेकांना पडतो कारण आपण दररोज अशा तंत्रज्ञानाचा वापर करत असतो ज्यामध्ये सैटेलाईटची महत्त्वाची भूमिका असते या मध्ये  आपण   टीव्ही  पहाण्यासाठी , GPS, हवामानाचा अंदाज  संवाद साधण्या साठी ,म्याप  मध्ये एखादे  स्थान  पर्येंत  पोहोचण्या साठी अशी अनेक  कामे हि सैटेलाईट  मुले केली जाते  त्या मुले  सैटेलाईट  चे  महत्व  हे आपल्या  जीवन मध्ये  खूप  आहे.  

सैटेलाइट म्हणजे एक अशी वस्तू जी कोणत्यातरी मोठ्या ग्रहाभोवती एका ठराविक कक्षेत फिरते. उदाहरणार्थ, चंद्र हा पृथ्वीचा नैसर्गिक उपग्रह आहे. पण विज्ञान व तंत्रज्ञानाच्या सहाय्याने मानवाने मानवनिर्मित सैटेलाइट्स तयार केले, जे पृथ्वीच्या कक्षेत फिरतात आणि अनेक कामे करतात.

सैटेलाईट  हि  एका   टीव्ही  च्या  आकारा  एवढी  किंवा  ट्रेक  येवढी  आकाराची  असू  शिकते साईटलाईट  चा  आकार  हा  काम  जे आहे  त्या वरून ठरतो. सैटेलाईट  मध्ये  अनेक  यंत्र  हे त्या  सैटेलाईट  च्या  काम नुसार  लावण्यात येतात जशी कि संवाद  करण्या साठी  रिसिव्हर  पुथ्वी चे  जर image  काढण्या साठी  मोठे कॅमेरे लावण्यात आल्ये असता. 


📡 सैटेलाइट चे इतिहास (History of Satellites)

satellite mhanje kay हे समजून घेण्यासाठी आपल्याला थोडे इतिहासात जावे लागेल. सैटेलाईटचा इतिहास रशियाच्या स्पुतनिक-1 या पहिल्या मानवनिर्मित उपग्रहापासून सुरु होतो. 1957 साली, रशियाने हा उपग्रह पृथ्वीच्या कक्षेत यशस्वीरीत्या सोडला आणि त्यानंतर सैटेलाईट युग सुरू झाले. त्यानंतर अमेरिका, भारत, चीनसह अनेक देशांनी स्वतःचे सैटेलाईट पाठवले आहेत.


🌐 सैटेलाइट चे उपयोग:

आज आपण GPS वापरतो, टीव्ही बघतो, हवामानाचा अंदाज पाहतो हे सर्व सैटेलाइट मुळे शक्य आहे. या उपग्रहांमुळे संवाद, मॅपिंग, छायाचित्रण, इंटरनेट सेवा शक्य झाली आहे.


🛰️ सैटेलाइट चे प्रकार:

सैटेलाईट चे तसे अनेक प्रकार  हे  सैटेलाईट  च्या  कार्या  वरून  पडतात  पण  या  मध्ये  मुख्येतू   आपण  सैटेलाईट  पुथ्वीच्या  कोणत्या  ऑर्बिट  मध्ये  पाठवणार  आहे  या  वरून  त्या  सैटेलाईट  चे  प्रकार हे ठरत असतात. सैटेलाईटचे  प्रमुख  तीन  प्रकार  आहेत  ते  आपण पाहू. सैटेलाइट च्या कक्षेवरून खालील मुख्य तीन प्रकार विभागले जातात:

1️⃣ निम्न पृथ्वी कक्षा उपग्रह (LEO Satellite)

या प्रकारच्या सैटेलाईट मध्ये सैटेलाईट हि पुथ्वी च्या खूप जवळच्या ऑर्बिट मधून परिभ्रमण हे करत असते  आणि  या उपग्रह  ला   हि  पुथ्वी पासून  किमान १६०km ते १६००km एवढ्या  उंची  पर्येंत  त्या  उपग्रह  ला  स्थापण   केल्ये  जाते  या  ठराविक  ऑरबिट  मधून  तो  उपग्रह पुथ्वी भवती  खूप  वेगाने  फिरत  असता. याचा  उपयोग  हा  पुथ्वी  चे  इमेज  किंवा  पुथ्वी ला  सॅकॅनिंग व सर्वे  करण्या साठी  वापर  केला जातो.


  • उंची: १६० किमी ते १६०० किमी



  • उपयोग: पृथ्वीचे फोटो घेणे, पर्यावरण सर्वेक्षण


2️⃣ मध्यम पृथ्वी कक्षा उपग्रह (MEO Satellite)

या प्रकारच्या  उपग्रह  हे  मध्यम  वेगाने  पुथ्वी  च्या  भवती  फिरत असतात या  उपग्रहा  मध्ये एवढी  क्षमता  असते  हा   उपग्रह  फक्त  १२ तासा  मध्ये  पुथ्वी  भवित  संपूर्ण  चेकर  पूर्ण करतो. हा  उपग्रह  पुथ्वी  पासून १००००km ते २००००km एवढ्या उंची  पर्येंत   स्थापण  केले जाते  या  उपग्रहाचा  वापर  हा  नॅव्हिगेशन  करण्या साठी केला जातो.  


  • उंची: १०,००० किमी ते २०,००० किमी



  • उपयोग: GPS, नेव्हिगेशन सिस्टम


3️⃣ उच्च पृथ्वी कक्षा उपग्रह (GEO Satellite)

या  प्रकारच्या  उपग्रह ला  पुथ्वी  पासून ३६०००km   या  अंतर  पासून  खूप  लांब  पर्येंत  स्थापन  केले  जाते  हे  सुद्धा  उपग्रह  हे पुथ्वी  भवती  खूप  वेगाने  परब्रहमन  करत असतात  या  प्रकारच्या  उपग्रहाचा  वापर हा संवाद  करण्या  साठी केला जातो  उदाहरणात  ( मोबाइल इंटरनेट , tv, सेलफोन ). 


  • उंची: ३६,००० किमी



  • उपयोग: संवाद प्रणाली – मोबाईल, इंटरनेट, टीव्ही



🛰️ भारताचे सैटेलाईट कार्यक्रम

भारताचा सैटेलाईट प्रोग्राम खूप प्रगतीशील आहे. ISRO (Indian Space Research Organisation) हे भारताचे अंतराळ संशोधन संस्था आहे. भारताने अनेक उपग्रह अवकाशात यशस्वीपणे पाठवले आहेत, त्यात INSAT, GSAT, Cartosat, RISAT हे काही महत्त्वाचे उपग्रह आहेत. हे सैटेलाईट दूरदर्शन, हवामान अंदाज, कृषी निरीक्षण, आणि संप्रेषणासाठी वापरले जातात.


🌎 सैटेलाईटचे जीवनमान व नियंत्रण

प्रत्येक सैटेलाइटचे जीवनमान ठराविक असते – काही वर्षांपासून ते दशकेपर्यंत. सैटेलाइट एकदा अंतराळात गेल्यावर पृथ्वीवरील ग्राउंड स्टेशनमधून त्याचे नियंत्रण केले जाते. सैटेलाईटमध्ये बॅटरी, सोलर पॅनल, एंटेना, कॅमेरे, रिसिव्हर यासारखी उपकरणे असतात.


🌟 भविष्यातील सैटेलाईट उपयोग

भविष्यात सैटेलाइट्सचा वापर 5G इंटरनेट, स्मार्ट सिटी प्लॅनिंग, अंतराळ पर्यटन, कृषी डेटा विश्लेषण, आपत्ती व्यवस्थापन यासाठी होणार आहे. छोटे “नॅनो सैटेलाईट्स” भविष्यात मोठी क्रांती घडवू शकतात.


❓ वारंवार विचारले जाणारे प्रश्न (FAQ)

Q. सैटेलाइट म्हणजे काय?(satellite mhanje kay)
A. सैटेलाइट म्हणजे एका मोठ्या वस्तूभोवती फिरणारी लहान वस्तू, जसे की चंद्र पृथ्वीभोवती फिरतो.

Q. सैटेलाइटचे प्रकार कोणते आहेत?
A. निम्न पृथ्वी कक्षा, मध्यम पृथ्वी कक्षा, आणि उच्च पृथ्वी कक्षा – हे तीन प्रकार आहेत.

Q. सैटेलाइट चे उपयोग कोणकोणत्या क्षेत्रात होतात?
A. संवाद, GPS, हवामान अंदाज, टीव्ही प्रसारण, मॅपिंग इत्यादी.


🔗 संदर्भ:

 

टायटॅनिकचा इतिहास काय आहे

 टायटॅनिकचा इतिहास काय आहे 

 What is the history of the Titanic

 टायटॅनिक हे एका जहाजचे  नाव  होते या  आर्टिकल  मध्ये आपण  टायटॅनिकचा  इतिहास  काय आहे.  हे  पाहणार आहोत  टायटॅनिक  जहाज  हे  त्यावेळीच जगामधील  सगळ्यात  प्रसिद्ध असे  जहाज  होते  या  जहाजच्या  मालकाचा  अशी  समज होती  कि हे जहाज कधीच  बुडू शेकत नाही  हे  जहाज  १४ एप्रिल १९१२  या  रोजी हे जहाज  बुडाले  हे  नेमके  कसे  बुडाले  या बद्दलचा  टायटॅनिकचा  इतिहास  काय आहे. जहाज  एकदम  भाव्ये असे  होते  या जहाजे  मध्ये  २२२७ प्रवाश्याची  क्षमता होती  हे जहाज  पहिलाच सफारी  मध्ये  बुडाले  त्यामुळे  हे  जहाज  चर्चेचा  विषय  बनला  हे जहाज  पाण्या मध्ये  कसे  बुडाले  या  बद्दलची टायटॅनिकचा  इतिहास  काय आहे  हे बघणार  आहे. 
टायटॅनिक

टायटॅनिकचा इतिहास

टायटॅनिक   हे  एक  भव्ये  असे  जहाज  होते. हे  जहाज  त्यावेळी  जगा  मध्ये सर्वात  मोठे जहाज  होते. टायटॅनिक 
जहाज  शिवाय  जगा  मध्ये  त्या वेळी  जागा  मध्ये असे मोठे जहाज नव्हते  या  जहाज  मध्ये  फाईव्ह  स्टार  हॉटेल

  सारखी  रूम  बनवण्यात आल्या होत्या या जहाज  लांबी सुमारे ८८२ एवढी होती.  बेलफास्ट व नॉर्दर्न आयर्लंड या ठिका मधील हारलँड आणि वोल्फ या दोन ब्रिटिश जहाज बांधणी कंपनीने टायटॅनिकच्या बांधकामाचे कामस 

 सुरवात केली या जहाजस  31 मार्च 1909 रोजी तयार करण्याची  प्रक्रिया सुरू झाली आणि जहाज 31 मे 1911 रोजी बांधून पूर्ण झाले  व ते जागा समोर आण्यात आले  या  जहाज  मध्ये  तीन  वर्ग  प्रकारे   प्रवाशाची 

 तुलना केली  होती  प्रथम वर्ग द्वितीये  वर्ग , तुतीये  वर्ग  प्रथम  वर्गा  मध्ये अमीर  लोकांचा  समावेश  होता  द्वितीये  वर्ग  मध्यम  वर्गाचे  म्हणजे  अमीर नाही व  गरीब हि नाही अश्या प्रकारे लोक रहात असत  तुतीये  वर्ग  मध्ये गरीब

 लोक रहात असे  अमीर लोक हे  सगळ्यात वरच्या मजल्यावर राहत  असे  या जहाज मध्ये  अमीर  लोक  खूप होते कारण  या जहाजचे  खूप  जाहिरात  करण्यात  अली होती  या  जहाज  मध्ये  पहिल्या सफरी मध्ये  प्रत्येकाची

  बसण्याची खूप  इच्या होती   या  जहाजचा  पहिला सफारी  हि १० एप्रिल १९१२मध्ये टायटॅनिकने इंग्लंडमधील साउथॅम्प्टन येथून आपला पहिला प्रवास सुरु करून न्यूयॉर्क शहराकडे म्हणजे च अमेरिका या देश्य कडे प्रस्थान

 केले. जहाजावर अंदाजे २२४५ प्रवासी आणि चालक दलाचे सदस्य होते. टायटॅनिकने या जहाजने वैविध्यपूर्ण व्यक्तींना आकर्षित केले त्या  मध्ये  श्रीमंत अभिजात वर्ग, अमेरिकेत चांगले जीवन शोधू पाहणारे आशावादी लोक

 स्थलांतरित आणि जहाजाचे चालक दल याच समावेश होता या जहाजचे  नेतृत्वहे कॅप्टन एडवर्ड स्मिथ, शिपिंग उद्योगातील एक प्रसिद्ध व्यक्ती सुदा  या जहाज  मध्ये  समावेश होता.14 एप्रिल 1912 रोजी रात्री  ११:४० वाजता

  हे जहाज  हिमखंडावर  वर  जाऊन  धडकले  या धडकेमुळे तंतिकला खूप  वीजा  झाली  व  हे  जहाज  बुडण्यास  सुरुवात झाली हे  जहाज  सुमारे  २ तास ४० मिनीटांनी  हे जहाज  पूर्ण पने  पाण्या मध्ये  समावेश

 झाला  या  २ तास  मध्ये  लोकच जीव  वाचवण्याचे काम  झाले  पण  या जहाज मध्ये फक्त  २० लाईट  बोट  होत्या त्यामुळे सगळ्या  वाचवणे  शेक  न्हवते २२४५ प्रवाश्या  पैकी  फक्त  ५०० ते  ७००  प्रवाशी  हे जिवंत  वाचू शेकल्ये

  या मध्ये महिला व लहान मुलांच  समावेस  होता. या अफगात मध्ये जास्त प्रमाणात प्रवासी मृत्यूमुखी पडण्याची २ प्रमुख कारणे होती. एकतर जहाजातील निम्मेच प्रवासी सामावून घेता येतील एवढेच  संख्या:११७८ इतक्याच

 जीवरक्षक नावा उपलब्ध होत्या. दुसरी बाब टायटॅनिक हे न बुडणारे जहाज होते अश्या कोष्टी साठी त्यामुळे त्या जहाज वरील कर्मचारना प्रशिक्षण दिले गेल न्हवते यामुळे  टायटॅनिक वरील बऱ्याच  कर्मचार्याना जणांना घटनेचे

 गांभीर्य समजले नव्हते. त्यातच टायटॅनिकच्या कर्मचारी वर्गाने प्रथम दर्जाच्या लोकांना प्राधान्य देण्याची, त्यातही स्त्रिया व मुले प्रथम अशी भूमिका घेतल्याने सुरुवातीच्या काही जीवरक्षक नावा पूर्णपणे न भरताच गेल्या. अखेर

 केवळ ७०६ जणच आपले प्राण वाचवू शकले. टायटॅनिक बुडाली तेव्हा पाण्याचे तापमान साधारण २८ °F (−२ °C) इतके होते ज्यात साधारणत: माणसाला १५ मिनिटात मृत्यू येतो. हे मुख्ये  कारण होते.  हि  जहाज नेमकी

 कोठे बुडाली  हे  कोणालाच  माहित  न्हवते या जहाज  च्या   ढिगाऱ्याचे स्थानस    शोध घेण्यास  सुरवात झाली या शोधला 1 सप्टेंबर 1985  मध्ये यश  आले  हे  जहाज  बुडून  १११ वर्ष  झाली  हा   ढिगाराचे   काही  कालांतराने   समुद्रामध्ये  विघटन  होईल व हा ढिगारा  नष्ट  होईल.    

टायटॅनिक जहाज कसे बुडाले

टायटॅनिक ने  १० एप्रिल १९१२ मध्ये  इंग्लंड  ते  न्यूयॉर्क  या  दिशाने  प्रवासास  सुरवात  केली हा प्रवास ४ दिवस असच चालत राहिला या चार दिवसाची प्रवसा  मध्ये टायटॅनिक ला अनेक बिना तारी संदेश मिळत होते सगळ्यात
 शिवाचं संदेश हा  १४ एप्रिला दुपारी १३:४५ ला मिळाला होता पण हा देखील संदेश टायटॅनिक मधील बिनतारी प्रमुखाने गांभीर्याने खेतले नाही  व  परत १४ एप्रिल रात्री  ११:४० ला तहलनी पदकाला एक सरळ रेषेत हिम खडक
 आढळा तो संदेश ताबतोक ऊच अधिकाराने  ते  जहाज डावीकडे वाळवणाचे  आदेश दिला पण तो पर्येंत खूप उशीर झाला होता हे जहाज पूर्णपने डावी कडे वळवण्यात यश आले नाही पाण्यापासून २० फूट खाली असेल
 भागासह हिमखंदकाची तकर बसली या मुले जहाजच्या खालच्या बाजूस खूप नुकसान झाले या मुले पाणी जहाज मध्ये येण्यास सुरवात झाली व  जहाज हळू  बुडण्यास सुरवात झाली व याचे दुसरे कारण हे असे  म्हणदले जाते कि
 टायटॅनिक जहाज च्या खालच्या बाजूस आग लागली  होती या आगी मुले खालचा भाग हा कमजोर झाला होता  या मुले हिमखडकाची  जावळी टँकर झाली त्यावेळी खूप नुकसान  झाले  किनारा  पासून ४०० मैलांन  वर  लांब असताना  टायटॅनिक हे जहाज बुडाले  हे  जहाज बुडत असताना  त्या जहाज  चे  दोन तुकडे  झाले  होते.     

        

   

 

अणुभट्टी म्हणजे काय? त्याचे भाग आणि त्यांचे कार्य

अणुभट्टी म्हणजे काय: त्याचे भाग आणि त्यांचे कार्य  

What is a nuclear reactor? Its parts and their function 

अणुभट्टी म्हणजे काय? त्याचे भाग आणि त्यांचे कार्य

आपण ह्या आर्टिकल मध्ये अणुभट्टी म्हणजे काय व  त्याचे भाग आणि त्यांचे कार्य हे आपण पहाणार आहे.
अणुऊर्जा  हि  मोठ्या  प्रमाणात  वापरली जाते  अणुऊर्जेच्या  वापराने  मोठ्याप्रमाणावर  वीजनिर्मिती  हि अणुभट्टी  च्या सहाय्याने केली जाते. अणुऊर्जा हि  अनुच्या साह्याने होत  असते. हि ऊर्जा  पाणी गरम करण्या साठी वापरली जाते  व  पाण्याची  वाफ  झाल्या नंतर  त्याच्या पासून  वीज  निर्मिती  हि केली जाते  हे  कसे  खडते  व  अणुभट्टी म्हणजे काय  त्याचे भाग आणि त्यांचे कार्य .  

अणुभट्टी म्हणजे काय:

 अणुइंधनावर केंद्रकीय अभिक्रिया घडवून आणतात व अणूमधील केंद्रकीय ऊर्जा मुक्त करतात. संबंधित केंद्रकीय अभिक्रिया समजून घेण्यासाठी युरेनिअम – 235 या नणुइंधनाचे उदाहरण घेऊ. मंद गतीच्या न्यूट्रॉनांचा मारा कला

 असता युरेनिअम 235 ह्या समस्थानिकाच्या केंद्रकाचे विखंडन होऊन क्रिप्टॉन 92 व बेरिअम -41 ह्या वेगळ्या मूलद्रव्यांची केंद्रके व 2 ते 3 न्यूट्रॉन निर्माण होतात. ह्या न्यूट्रॉनांची गती कमी केल्यावर ते आणखी U – 235 केंद्रकांचे

 विखंडन घडवतात. अशा  प्रकारे केंद्रकीय विखंडनाची शृंखला अभिक्रिया होते यामध्ये केंद्रकातून मोठ्या प्रमाणात केंद्रकीय ऊर्जा म्हणजेच अणुऊर्जा मुक्त होते. संभाव्य विस्फोट टाळण्यासाठी शृंखला अभिक्रिया नियंत्रित ठेवतात.

अणुभट्टी म्हणजे काय? त्याचे भाग आणि त्यांचे कार्य

अणुभट्टीमध्ये शृंखला अभिक्रिया नियंत्रित करण्यासाठी न्यूट्रॉन्सचा वेगसंख्याकमी करण्याची आवश्यकता असते. त्यासाठी पुढील गोष्टींचा वापर केला जातो.

1. संचलक / मंदक (Moderator) : न्यूट्रॉन्सचा वेग कमी करण्यासाठी ग्रॅफाईट किंवा जड पाणी यांचा संचलक किंवा मंदक म्हणून वापर केला जातो.

2. नियंत्रक (Controller) : न्यूट्रॉन शोषून घेऊन त्यांची संख्या कमी करण्यासाठी बोरॉन, कॅडमिअम, बेरिलिअम इत्यादींच्या कांड्या नियंत्रक म्हणून वापरतात.

विखंडन प्रक्रियेत निर्माण झालेली उष्णता पाण्याचा शीतक (coolant) म्हणून वापर करून बाजूला काढली जाते. त्या उष्णतेने पाण्याची वाफ करून वाफेच्या साहाय्याने टर्बाइन्स चालविले जातात व वीजनिर्मिती होते.

भाग आणि त्यांचे कार्य:

What is a nuclear reactor? Its parts and their function

पहिला  भाग म्हणजे  अनु  चे  विखंडन  होणे  हा  वरील प्रतिमा  मध्ये दर्शवले  आहे  रिऍक्टर  या  शब्दाने दर्शवले  आहे.  या  भाग मध्ये  अणूचे  विघटनांचे  काम  होत असते  व याच्या पासून जि ऊर्जा  बाह्येर  पडते  ती

  एक  माध्यम  च्या  सहारे  दुसऱ्या भाग मध्ये  पाठवली जाते  त्या  भाग मध्ये  पाण्याची वाफ  हि त्या  ऊर्जा च्या  सहारे  निर्माण  केली जाते  त्या भागास  वरील  प्रतिमा मध्ये स्टीम   जनरेटर  या नावाने  दर्शवले आहे नंतर एका

   माध्यम  च्या  सहारे पाण्याची  वाफ  हि  तिसरया  भाग मध्ये  पाठवली  जाते तेथे  पाण्याच्या वाफे  च्या सहारे  ये  एका  टर्बाइन  ला  फिरवले जाते  व  त्या  टर्बाइन  मुले  जनरेटर  हे  फिरल जाते  व त्या पासून  वीज  हि तयार होत

 असते व नंतर  ती  वाफ हि  कूऊलर  च्या सहाय्याने धंदा केली जाते  व त्या वाफेचे परत पाण्यात रूपांतर केले जाते  व परत  एका  माध्यम  च्या  सहाणे  ते पाणी हे दुसऱ्या  भाग मध्ये  पाठवले जाते  व तेथील  टर्बाइन  फिरत

 असताना  वाफेचे  पाणी झालेले हे  परत  गोळा केले जाते  व  ते पाणी पार्ट वाफ  होण्या साठी पाठवले जाते  हे अशेच  ये  चेकर  हे चालत राहते. 

अणुभट्टी म्हणजे काय? त्याचे भाग आणि त्यांचे कार्य
पाणी धंद करण्याचे यंत्र




   






 
   

 

  

बरमुडा ट्रँगल म्हणजे काय

 बरमुडा ट्रँगल म्हणजे काय

  What is Bermuda Triangle

बरमुडा ट्रँगल म्हणजे काय  What is Bermuda Triangle  हे   काय  आहे   ते  आपण  पुढे  पहाणार  आहे  
बरमुडा  ट्रँगल  हा  एक  समुद्र  मधील  भाग आहे   जेव्ह   कि  त्रिकोण  आकाराचा  आहे  त्यामुळे   त्यास  बरमुडा असे  म्हडले  जाते  हे  काय आहे  बरमुडा ट्रँगल म्हणजे काय. 


 ट्रँगल   अशे   म्हणदले  जाते   या  त्रिकोणा   चा  एक  विशिष्ट्य  अशा  एक  भाग  आहे  कि   त्यामध्ये  अनेक  जहाज , विमान, व  लोकांचे  अस्पष्ट्ये  पणे  गायब  होत आहे. हे कशे  होते  याचा  अजून पर्येंत  काही  ठाम  पूर्व 
 नाही  हे  ठिकाण  अटलांटिक  महासागरात  आहे  या  मागे असा  अंदाज आहे  कि  या  माघे  काही  अज्ञान  शेक्टी  चा  हात  आहे.  बरमुडा ट्रँगल  ची सीमा  हि   तीन   शिरुबिंदू  मध्ये  स्पष्ट्ये  केली  आहे   सॅन जुआन , पोर्तो
 रिको ; आणि बर्म्युडा  अशे हे   शिरीबिन्दू  हे  या भाग मध्ये  आहेत. बरमुडा  हे   देशा  वरून  या  याचे  नवा     बरमुडा  बरमुडा  ट्रँगल   असे  नाव  पडले. 
  बरमुडा  ट्रँगल   ची   पण अजून  समि  हि  बरोबर  आशेला अशे नाही  अजून   या  सीमा   या  अस्पष्ट्ये   आहेत. 
 अजून   या  बाबतीत  सर्वांचे  एक  मत  नाही. 
बरमुडा ट्रँगल  मध्ये  अजून   एकूण  किती   विमान  व  जहाज  व  लोक  गायब  झाले  याचा   नेमका  अंदाज  नाही  सर्वात  सामान्य   अंदाज   म्हणजे   ५०  जहाजे  व  २०  विमान   असा आहे 
या  भाग  मध्ये  बेपत्ता   झाले  अनेक  जहाज चे   व  विमानाचे  अवशेष   अजून  सापडले   नाही   व   त्या  जहाजे किंवा   विमाने  मध्ये  असलेल्या   लोकांच्या   देत   बॉडी  सूड  सापडली  नाही.
बरमुडा  ट्रँगल  मध्ये   गायब होण्या  माघे  नकी  मानवी   चुकी  च  परिणाम  आहे  कि  हवामानाचा   घटने   मुले   हे अजून  माहित  नाही.
महासागर हे  नेहेमीच   एक   मानवासाठी   रहस्यमय   ठिकाण  राहील  आहे   या मध्ये अनेक  गुड  हे लपले असतात  जेव्हा   महासागर मध्ये   खराब  हवामान  होते तेव्हा  नेहमीच   महासागर मध्ये   खतरनाक  हवामानाची 
 परस्तिती  होत असते  पण   बरमुडा  ट्रँगल   सारखी  इतर  कोणत्याही  ठिकाणी  अशी परस्थि   निर्माण होत नाही व  घडत नाही   व बरमुडा  ट्रँगल  मध्ये  अशी परस्तिती  वारंवार  घडते.