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हूवर धरण

हूवर धरण काय आहे

What is the Hoover Dam

हूवर  नावाचे  हे  एक मोठे  धरण  आहे.  याला  हूवर  धरण(hoover dam) असे  म्हणतात  हे  धरण  अमेरिका  मध्ये  आहे. हे  मुख्येतू नव्होडा  व  अ‍ॅरिझोना या  राज्य  मधून  वाहणारी   कॉलोराडो नदीवर बांधले हे  एक  धरण  आहे. हूवर धरणाचे  रचना अभियंता चे  नाव  हे जॉन सैवेज  हे  आहेत  यांनी  या  डाँ ची  सम्पूर्ण रचना  हि  केली  आहे. 

हूवर धरण

हूवर  धरणाचे  क्षेत्रफ़ळ  हे  एकूण ६४० वर्ग  मीटर  एवढे  आहे  कॉलोराडो  नदी  चा  प्रहवा  हा अडवून  या  धरणाची  निर्मिती  हि  करण्यात  अली  या  धरणाचे  काम  करण्या साठी  नदी  चा  प्रवाह  हा  बदलण्यात  आला  होता  या  नदी  मध्ये  ४  बोगदे  पाडून  या  नदी  चा  प्रवाह  बदला  होता. व  बांधकाम  साठी  जमीन  मोकळी  सोडली  होती. 

हूवर धरणाचा इतिहास

या धरण  बांधण्या  मध्ये  मुख्य  हेतू  म्हणजे  अमेरिकी  मधील  दुष्काळी  व  वाळवंटी भाग  मध्ये  पाणी  पोहोचवणे व विजनिर्मीती  करण्या  साठी हे धरण बांधले १९३१  मध्ये  हूवर  या धरणाचे  बांधकाम  हे  सूर  झाले. व  १९३६  मध्ये  या  धरणाचे  बांधकाम  हे पूर्ण  झाले  ३० सप्टेंबर  १९३६  मध्ये  या  धरणाचे  उद्‍घाटन  करण्यात  आले. या धरणाचे बांधकाम  खर्च  हा सुमारे  अमेरिकन $४९ दशलक्ष  एवढे  होते 

या  धरणाचे  बांधकाम  हे  १०००  कामगारांनी  च्या  अतूट  महेनतीने  पूर्ण  झाले  हे  बांधकाम  पूर्ण  करताना  १००  कामगाराना  आपला  जीव  गमवा  लागला होता .  त्या  वेळी  चे   राष्ट्राध्यक्ष हर्बट  हूवर  यांच्या  नावा  मुले  या  धरणाला  हूवर  धरण असे संबोधले पण  या  धरणाचे  नाव पुढे  हेच  पढले. 

हूवर  धरण  हे ३७९ लांबी  व  २२१. ४ मीटर  व उंची  आहे. या  धरणाच्या  माघे  मिड नावाचे  एक तळे  आहे हे तळ  खूप  मोठे  आहे  तळे  कदाचित  हूवर धरण  मुले  बनले  असावे या तळाचे  क्षेत्रफ़ळ  हे ६०३ एवढे  आहे.

हूवर धरणाचे  बांधकाम  

हूवर धरण  बांधण्या  साठी  सगळ्यात मोठी  गोष्ट म्हणजे   बांधकाम  करण्यासाठी  जमीन  सुखी  ठेवणे  कारण  अभियंत  थेट  कॉलोराडो  नदी सारख्या  मोठ्या  नदी  मध्ये  बांधकाम  करू  शेकत  नाही  त्यासाठी एकमात्र  मार्ग  म्हणजे  नदी मध्ये    वळणारा  बोगदा  निर्माण  करणे   नदी  वळवण्या  साठी  ऐकून  चार  बोगदे  पाडण्यात  आले हे बोगदे  पाढण्या  साठी जंबो  ड्रिल  चा  उपयोग  करण्यात  आला  हि  ड्रिल  खास  करून  ह्या   बोधगया  साठी  तयार  करण्यात  आली  होती  जंबो  ड्रिल  च्या सहाय्याने  डायनॅमिती  साठी  होले  पाधली  जात होती. 

व  डायनॅमिती  च्या  सहाणे  एक  ठराविक  अंतर  वर जाऊन  विस्फोट  केला  जायचा  व  यामधून  दगड  कोठे व बारीक चुरा   बाहेर  काढून  त्या  बोगढचे  काँक्रीटीकरण  केले  जायचे   व  या  पदतीने  सारख सारखं करून  तबल १८  महिन्याचा  कालावधी  हे बोघडे  पूर्ण  करण्या साठी  लागत  होते  हे  पूर्ण  करून  जो  बोगद्याच्या  प्रारंभ  बिदू  होता  त्या  ठिकणी  बोगदा  निर्माण  करत  असताना  निघालेले  दगड कोठे  व बारीक चुरा  त्या  ठिकाणी  टाकला  यालाच  कॉपर डॅम  असे  म्हणतात असे  कॉपर  डॅम  शेवट  च्या  बिंदू  सुद्धा  बनवण्यात  आला  यामुळे  नदी  चा  प्रभाव  हा  वळवण्यात  यश  आले  व  बांधकाम  साठी  सुकी  जमीन  मिळाली.

 हूवर  धरण  बनवण्या साठी  सुकिया  जमनी  वरील  जागा  मजबूट  होण्या साठी  ढीले  दगड  काढण्यात  आले  व  पाण्याचे  दाब  कमी  करण्या साठी  अर्ध्या वर्तुळ आकाराचे बांधकाम  करण्याचे  ठरवले  या  साठी  धरणाच्या  रचणे  प्रमाणे  त्या  नदीच्या  भितींना  विस्फोट  करून  आकार  देण्यात  आला  व  थोडे  थोडे  बॉक्स   बॉक्स  धरणाचे  बांधकाम  हे  कॉक्रिटरीकरण  करण्यात  थोडे थोडे  बॉक्स  बॉक्स  करण्याचे  कारण  म्हणजे  काँक्रीट  चे  तापमान  मापात  राहण्या  साठी  जर तापमान  अति  गरम  झाले तर  त्या  बांधकाम  मध्ये  भेगा  पडू शिकतात असे  या  धरणाचे  बांधकाम  हे पूर्ण  करण्यात  आले. 

हूवर धरणा  मध्ये वीज निर्मिती कशी केली जाते

हूवर  धरण  मध्ये वीजनिर्मिती  करण्यासाठी  इंग्लिश  मध्ये  U आकाराचे  अक्षराची  रचने  मध्ये  करण्यात  आल्ये आहे  या  U आकाराचे  अक्षराची  रचने मध्ये  जनरेटर  बसवण्यात  आले आहेत. या U आकाराचे  अक्षराची  रचना  ऐकून  २०० मीटर  एवढी  आहे.  ऐकून  या  रचणे  मध्ये  १७ जनरेटर व टरबाइन  बसवण्यात  आले  आहेत या  रचणे  मध्ये  जे  टरबाइन  बसवले  आहेत त्यांना  फ्रान्सस  टरबाइन  म्हणतात. 

पाणी  नि  हे बोगद्या  मधून  येत असताना निमोळती  होत  आली असते त्यामुळे  कोलआकरमध्ये  ज्या वेळी  पाणी धडकते टरबाइन  फिरू  लागते  व टरबाइन जनरेटला  फिरवाचे  त्या  मुले  वीज  निर्मिती  हि होत  असते  पण येवढ वजनाने  जड व मोठे  जनरेटर आणि टरबाइन व  इतर उपकरणे  हे त्याच्या  जागे  वर  बसवणे  हे  एक आव्हान  होते  त्यासाठी  अभियंतानि  केबल वये व पुली केबल   हा  पर्या  शोधला  आपण  हे  केबल  वये  अजून  सुदा  हूवर  धरण  वर बघू  शेकतो इंटक टॉवर मधून  खाली  असलेल्या  टरबाइन  पर्येंत  पाणी  पोहोचवण्य  जे  नदीचे  पाणी  वाळवण्या साठी बोगदे  वापरले  होते. 

 ते धरणाचे  बांधकाम  पूर्ण झाल्यावर काहीच  काम न्हवते  म्हणहून त्यातील  एक  जवळ  असलेला  बोगदा  वापरला  व  पाणी  टरबाइन  पर्येत पोहोचवले पण  दुसऱ्या  साठी  परत  एक  बोगदा  पाडण्यात  आला. धरण  ओव्हरफ्लोव  होऊ  नये  म्हणून  जो  दुसरा बोगदा  नदीचे  पाणी  वाळवण्या साठी बोगदे  वापरले  होते त्यातील  एक  बोगदा  हा  ओव्हरफ्लोव  झालेली  पाणी  बाहेर  काढले  जाते त्यास स्पिलवे  असे  म्हणतात. 

ओव्हरफ्लो झालेले  हे  पाणी  बाहेर  काढने गरजेचे  असते  कारण हे  पाणी  खाली  असली  सर्व  उपक्रम  हे  बरबाद होण्याचा  खतरा  असतो  या  मुले  स्पिलवे  हे  महत्वाचे  आहे. या  धरणा  मधून  तबल २०८० मेगावॅट  वीज  हि  निर्मित  केली  जाते  व ११०००  घनमीटर  प्रतिसेकंद  हा जलप्रभाव  हा  या धरण  मधून  होऊ शिकतो.       

  

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